सीआईटी (अपील )में तारीख पर तारीख, लेकिन सुनवाई नहीं
फोर्टी ने केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन को लिखा पत्र
आयकर विभाग भलेही कितना ही नवाचार ,सरलीकरण और
पारदर्शिता का दावा करता हो, लेकिन करदाताओं की
उलझनें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सितम्बर 2020 में आयकर विभाग की
फेसलेस स्कीम आने के बाद तो सीआईटी (अपील ) में
सुनवाई का सिस्टम ही ठप हो गया है । फैडरेशन ऑफ राजस्थान
ट्रेड एंड इंडस्ट्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर
बोर्ड के अध्यक्ष को पत्र लिखा कर इस समस्या के समाधान की मांग
की है। फोर्टी अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल का कहना है कि
सीआईटी (अपील ) में जाने से पहले
डिमांड की 20 प्रतिशत राशि जमा करानी पड़ती है । मानाकि 2
करोड़ रुपये डिमांड है तो 40 लाख रुपये एडवांस जमा कराने पड़ते हैं। सीआईटी (अपील ) में
सुनवाई नहीं होने से कई व्यापारियों की एडवांस राशि कई साल से अटकी
पड़ी है। इस कोरोनाकाल में कैपिटल क्रंच के माहौल में व्यापारियों को भारी
परेशानी उठानी पड़ रही है। फोर्टी के अतिरिक्त महामंत्री सीए अभिषेक
शर्मा का कहना है कि सितम्बर 2020 में फेसलेस स्कीम का करदाता व्यापारी और
प्रोफेशनल्स ने स्वागत किया था, लेकिन इस स्कीम के बाद सीआईटी (अपील ) का सिस्टम
ही ठप हो गया। कई मामले तो 4-5 साल से सीआईटी (अपील ) में अटके हुए
हैं, मुश्किल ये है कि जब तक सीआईटी (अपील ) में सुनवाई पूरी
नहीं होती , तब तक अपीलेट ट्रिब्यूनल, हाईकोर्ट या
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं होती। इसलिए प्रदेश में हजारों मामले
वर्षों से सीआईटी (अपील ) में ही लम्बित
हैं। फोर्टी के मुख्य सचिव गिरधारी खंडेलवाल का कहना है कि मार्च
करीब आते आयकर विभाग डिमांड रिकवरी के लिए व्यवहारियों
के ऊपर दबाव बनाने लगता है, जबकि मामले सीआईटी में अपील के लिए पेंडिंग
होते हैं। इसबार भी विभाग की ओर से दबाव बनाया जा रहा है। केंद्र सरकार और
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को सीआईटी अपील के सिस्टम
को दुरुस्त कर व्यवहारियों को राहत देनी चाहिए। व्यापारी पंकज
साबू और विजय गोयल का कहना है कि सीआईटी में अपील के बाद सुनावाई के लिए तारीख के बाद
तारीख मिलती रहती है, लेकिन सुनवाई नहीं होती। इससे देशभर मेंं लाखों
और प्रदेश में हजारों व्यापारी परेशान हैं।