अपने बच्चे की सपनीली शादी को हकीकत बनाएं – बगैर किसी वित्तीय तनाव के!

भारत में शादी मामूली सी रस्म नहीं बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से यह जीवन का बेहद महत्वपूर्ण मुकाम है। यह ऐसा मौका है जब परिवार एकजुट होते हैं, परंपराएं जीवंत होती हैं और यादगार लम्हा बन जाता है। शादी प्यार और खुशी का प्रतीक होती हैं, लेकिन अक्सर इसके साथ एक अनकहा बोझ आता है और वह वित्तीय तनाव। जेफरीज की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में 80 लाख से ज़्यादा शादियां हुईं, जिन पर कुल 10.7 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शादी का बाज़ार है। शादियों की बढ़ती लागत ने वित्तीय नियोजन को पहले से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण बना दिया है। भव्य समारोहों की लागत की वास्तविकता परिदृश्य 1: अनियोजित व्यय दुविधा अमित और मीरा ने अपने बेटे की शादी के लिए 20 लाख रुपये अलग रखे थे, यह सोचकर कि यह बहुत होगा। हालांकि, जैसे-जैसे योजना आगे बढ़ी, उन्हें एहसास हुआ कि वास्तविक लागत बढ़ती जा रही है - आयोजन स्थल की दर बढ़ गई थी, अतिरिक्त मेहमानों को ठहराना पड़ा और अन्य खर्च जिनका पहले हिसाब नहीं लगाया गया था। विस्तृत बजट की अनुपस्थिति और संभावित मूल्य वृद्धि को ध्यान में न रख पाने के कारण उन्हें ऋण ...