सम्बलपुरी हैंडलूम को ग्लोबल मंच पर पहुँचाने की मुहिम में आईआईएम सम्बलपुर सबसे आगे

सम्बलपुर, 6  अगस्त 2025: सम्बलपुरी दिवस के अवसर पर, देश के प्रमुख प्रबंधन संस्थानों में से एक, आईआईएम सम्बलपुर ने सेंटर फॉर रिस्पॉन्सिबल बिज़नेस के तत्वावधान में आयोजित पश्चिमी ओडिशा के मास्टर बुनकरों के लिए तीन सप्ताह के एंटरप्रेन्योरशिप डेवेलपमेंट प्रोग्राम के तीसरे चरण का सफल समापन किया। इस कार्यक्रम ने क्षेत्र के 25 चयनित बुनकरों को व्यावसायिक और उद्यमशीलता संबंधी आवश्यक कौशल प्रदान किए, ताकि हैंडलूम क्षेत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं को मजबूत किया जा सके।

आईआईएम सम्बलपुर अपने क्षेत्रीय विकास के मूलमंत्र के साथआत्मनिर्भर भारतऔरवोकल फॉर लोकलजैसे राष्ट्रीय अभियान-लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्ध है। संस्थान स्थानीय कारीगरी और आधुनिक व्यवसायिक पारिस्थितिकी तंत्र के बीच की खाई पाटने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यह तीन सप्ताह का आवासीय कार्यक्रम पश्चिमी ओडिशा के मास्टर बुनकरों को सशक्त बनाने, समावेशी विकास, ग्रामीण उद्यमिता और भारत की समृद्ध हैंडलूम विरासत के संरक्षण के प्रति संस्थान की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

प्रशिक्षण सत्रों का संचालन आईआईएम सम्बलपुर के संकाय और बाह्य विशेषज्ञों ने किया। प्रशिक्षण में मार्केटिंग, प्राइसिंग, कस्टमर कम्युनिकेशन, डिजिटल ब्रांडिंग, सस्टेनेबल पैकेजिंग, जीएसटी और बही-खाता, कोऑपरेटिव सोसायटीज़ और बिज़नेस ऑटोमेशन जैसे व्यावहारिक विषय शामिल थे। सस्टेनेबल पैकेजिंग, बल्क ऑर्डर हैंडलिंग और लाइव केस डिस्कशन पर कार्यशालाएँ प्रशिक्षण को और अधिक व्यावहारिक तथा लागू करने योग्य बनाती हैं। कार्यक्रम में डिजिटलीकरण और ऑनलाइन सेल्स के लिए तैयार करने पर भी विशेष ध्यान दिया गया। पिछले संस्करणों की तरह इस बार भी संस्थान ने स्थानीय भाषा में बिज़नेस शिक्षा प्रदान कर स्थानीय कारीगरों को प्रबंधन अवधारणाएँ समझने और अपनाने योग्य बनाया।

कार्यक्रम में उपस्थितों को संबोधित करते हुए प्रो. महादेव जायसवाल, निदेशक, आईआईएम सम्बलपुर ने कहा, “भारतीय बिज़नेस स्कूलों का ध्यान केवल कतिपय उद्योगों तक सीमित नहीं होना चाहिए; इन्हें जमीनी स्तर के व्यवसायों पर भी ध्यान देना चाहिए। आईआईएम सम्बलपुर की यह विशेष पहल बुनकरों के जीवन में बड़े परिवर्तन ला रही है और उन्हें आत्मनिर्भर बना रही है। यह पहल पश्चिमी ओडिशा के मास्टर बुनकरों की विरासत और कौशल के प्रति हमारी गहरी श्रद्धा को दर्शाती है।

प्रो. जायसवाल ने आगे कहा, “सम्बलपुरी हैंडलूम केवल एक वस्त्र नहीं, बल्कि हमारी पहचान और गरिमा हैइसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दिखाया जाना चाहिए। इस कार्यक्रम के माध्यम से हम उनके व्यापारिक कौशल का विकास कर उन्हें वैश्विक स्तर पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं।

इसी अवसर पर श्रीमती अरुणा मरांडी, सीएसआर हेड, टीपीडब्ल्यूओडीएल ने कहा, “आईआईएम सम्बलपुर की यह बहुमूल्य पहल है; देश के किसी अन्य शैक्षणिक संस्थान ने छोटे व्यवसाय मालिकों के लिए ऐसा विचारशील कदम नहीं उठाया। यह कार्यक्रमआत्मनिर्भर भारतके विज़न को साकार करता है। सम्बलपुरी दिवस के पावन दिन पर सभी को सम्बलपुरी वस्त्र पहने देख कर प्रसन्नता हुईयह एक सस्टेनेबल वस्त्र है और हम सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

समापन समारोह (सम्बलपुरी दिवस) में विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती अरुणा मरांडी (सीएसआर हेड, टीपीडब्ल्यूओडीएल), श्री संजय कुमार महापात्रा (जिला परियोजना प्रबंधक, ओडिशा लाइवलीहुड्स मिशन, सम्बलपुर) तथा श्रीमती होटा (जॉइंट सीईओ, ओआरएमएएस, सम्बलपुर) के साथ-साथ प्रो. महादेव जायसवाल (निदेशक, आईआईएम सम्बलपुर) और प्रो. सुमिता सिंधी उपस्थित थे।

समापन समारोह प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरण के साथ संपन्न हुआ। प्रारम्भिक संबोधन प्रो. सुमिता सिंधी द्वारा दिया गया तथा धन्यवाद-ज्ञापन अमृत पी. मोहन्टी (मुख्य प्रशासनिक अधिकारी) द्वारा प्रस्तुत किया गया।

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