सीईआरएन प्रयोगों में योगदान के लिए आईआईटी मंडी के भौतिक विज्ञानी 'फंडामेंटल फिजिक्स ब्रेकथ्रू प्राइज' से सम्मानित
सीईआरएन में ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने में योगदान के लिए आईआईटी मंडी के वैज्ञानिक सम्मानित
मंडी; 22जुलाई 2025: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के स्कूल ऑफ फिजिकल साइंसेज के डॉ. प्रभाकर पालनी और डॉ. अमल सरकार को उनकी अंतरराष्ट्रीय टीम के साथ प्रतिष्ठित फंडामेंटल फिजिक्स ब्रेकथ्रू प्राइज 2025 से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह सम्मान सीईआरएन में ATLAS, ALICE और CMS प्रयोगों में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया है, जिसने 2015 से 2024 के बीच दूसरे रन के दौरान मौलिक कण भौतिकी की समझ को गहराई दी।ब्रेकथ्रू प्राइज उन अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों को सम्मानित करता है जिन्होंने मानवता की ब्रह्मांड को समझने की क्षमता को बढ़ाया है। इस वर्ष का पुरस्कार 3 मिलियन अमेरिकी डॉलर की पुरस्कार राशि के साथ आया है, जिसे CERN एंड सोसाइटी फाउंडेशन को दान कर दिया गया है। इस राशि का उपयोग पीएचडी और समर छात्रों को अनुदान प्रदान करने के लिए किया जाएगा, ताकि वे CERN में अनुसंधान का मूल्यवान अनुभव प्राप्त कर सकें। यह अवसर युवा वैज्ञानिकों को अत्याधुनिक सुविधाओं और ज्ञान तक सीधी पहुंच प्रदान करेगा, जिसे वे अपने देशों में वापस लाकर आगे बढ़ा सकें।
ज्ञात हो कि लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) विश्व का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली कण त्वरक है, जो प्रोटॉन या आयन को प्रकाश की गति के निकट धकेल कर उन्हें टकराता है, ताकि ब्रह्मांड की मौलिक संरचना को समझा जा सके। इसका मुख्य उद्देश्य भौतिकी के स्टैंडर्ड मॉडल का परीक्षण करना था, जिसके तहत 2012 में हिग्स बोसॉन की खोज हुई। LHC वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करता है कि कणों को द्रव्यमान कैसे मिलता है, बिग बैंग के ठीक बाद के हालात को पुनः उत्पन्न करता है और डार्क मैटर जैसे अज्ञात कणों की खोज करता है। यह तकनीकी नवाचार जैसे सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट और कंप्यूटिंग में भी प्रगति लाता है। फ्रांस-स्विट्जरलैंड की सीमा पर जिनेवा के पास स्थित CERN वैश्विक वैज्ञानिक सहयोग का केंद्र है, जो ब्रह्मांड के गहरे रहस्यों को समझने में सहायक है।
उल्लेखनीय है कि आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ फिजिकल साइंसेज में "एक्सपेरिमेंटल पार्टिकल फिजिक्स ग्रुप" की स्थापना डॉ. अमल सरकार और डॉ. प्रभाकर पालनी द्वारा की गई थी। 2024 में इस समूह ने CERN के CMS (कॉम्पैक्ट म्यूऑन सॉलिनॉयड) सहयोग में आधिकारिक रूप से शामिल होकर वैश्विक उच्च ऊर्जा भौतिकी अनुसंधान में भारतीय संस्थानों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की।
सीईआरएन के बड़े प्रयोगों में इनकी सक्रिय भागीदारी आईआईटी मंडी की वैश्विक वैज्ञानिक सहयोग में बढ़ती उपस्थिति को दर्शाती है और मौलिक भौतिकी में अत्याधुनिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने की संस्थान की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह उपलब्धि न केवल आईआईटी मंडी की अनुसंधान क्षमता को दर्शाती है बल्कि अंतरराष्ट्रीय उच्च ऊर्जा भौतिकी समुदाय में भारत के योगदान को भी रेखांकित करती है।
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आईआईटी मंडी के बारे में:
आईआईटी मंडी भारत के हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के कमांद घाटी में स्थित दूसरी पीढ़ी के शीर्ष आईआईटी संस्थानों में से एक है। यह मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्थापित आठ नए आईआईटी में से एक है और इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है। आईआईटी मंडी का स्थायी परिसर मंडी से लगभग 14 किलोमीटर दूर दक्षिण और उत्तर परिसर में विभाजित है। संस्थान ने अपने स्थापना के बाद से ₹120 करोड़ से अधिक के 275 से अधिक अनुसंधान एवं विकास (R&D) परियोजनाओं में भाग लिया है। पिछले दस वर्षों में संस्थान ने 11 अंतरराष्ट्रीय और 12 राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
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