“सोशल सेक्टर वाइब्रेंट और मजबूत होना चाहिए; स्किल इकोसिस्टम विकसित करने के लिए स्पीड, स्किल, सैचुरेशन और कन्वर्जेंस मंत्र है”: श्री जयन्त चौधरी

जयपुर, 30 जुलाई, 2024: कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (MSDE) के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और शिक्षा मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री जयन्त चौधरी ने जयपुर के मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNIT) में आयोजित जन शिक्षण संस्थानों (JSS) के लिए जोनल कॉन्फ्रेंस में अपने संबोधन के दौरान कहा कि "स्पीड, स्किल, सैचुरेशन और कन्वर्जेंस स्किल इकोसिस्टम के लिए हमारी सरकार के मंत्र हैं।"

सम्मेलन में कौशल विकास प्रशिक्षण के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े समूहों के बीच स्वरोजगार और वेतन रोजगार को बढ़ावा देने में जेएसएस की परिवर्तनकारी शक्ति पर ध्यान केंद्रित किया गया। डायनमिक जॉब मार्केट के लिए व्यक्तियों को बेहतर ढंग से तैयार करने के लिए फ्यूचरिस्टिक, इंडस्ट्री रेलेवेन्ट स्किल अपनाने के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया।

प्रोग्रेस पर चर्चा करते हुए, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयन्त चौधरी ने कहा, "जमीनी स्तर पर लोग सामाजिक उत्थान के लिए जेएसएस के विजन और मिशन के वास्तविक प्रभाव के साक्षी हैं। यह देखकर खुशी होती है कि हमारे 82% लाभार्थी महिलाएं और हाशिए पर पड़े समुदायों से हैं, जिनके पास पहले अवसरों और औपचारिक शिक्षा का अभाव था। इस योजना की गतिशीलता हमारे राष्ट्र की भावना - एक विकसित भारत के सपने को दर्शाती है। आज के तेजी से बदलते हुए समय में एक बात तय है कि उत्सुक भारत-युवा भारत इंतजार नहीं करेगा।''

उन्होंने आगे कहा कि, "राजस्थान में हमारे पास 1,620 आईटीआई हैं, जिनमें से 165 सरकारी आईटीआई हैं। राजस्थान में हमारे पास दो राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान भी हैं, जिनमें से एक विशेष रूप से महिलाओं के लिए है। राजस्थान में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के परिणामों की समीक्षा करते समय, मुझे इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोटिव क्षेत्रों में कौशल की मांग में वृद्धि के बारे में पता चला है। यह मांग विशेष रूप से हमारे युवाओं के बीच ईवी तकनीशियनों के लिए है। लखपति दीदी, पीएम जन धन और पीएम विश्वकर्मा जैसी पहल महिलाओं और समाज के अन्य वर्गों तक पहुँच रही हैं, उन्हें आधुनिक तकनीक और वित्तीय सहायता के साथ आगे बढ़ा रही हैं।"

श्री जयन्त चौधरी ने कहा, "हाल ही में जी-20 टास्क फोर्स में भारत की डिजिटल ताकत की सराहना की गई है, जिसमें बताया गया कि किस तरह से हमारे डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, हमारे जेएएम और इंडिया स्टैक ने सुनिश्चित किया है कि लोगों को हमारी सार्वजनिक योजनाओं का लाभ मिले। हमने केवल पाँच वर्षों में वह हासिल कर लिया है जो शायद अन्य जगहों पर 50 साल में हासिल किया जा सकता था। स्किल इंडिया डिजिटल हब (सिद्ध), जो कौशल, प्रशिक्षण और सत्यापन के लिए आधार कार्ड की तरह काम करता है, डिजिटल सशक्तिकरण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। आज, 22 विभिन्न मंत्रालयों की 35 से अधिक योजनाएँ सिद्ध पर होस्ट की गई हैं और ऐप को अब तक 9.5 लाख बार डाउनलोड किया जा चुका है।"

राजस्थान सरकार के खेल एवं युवा मामले, कौशल एवं रोजगार और उद्यमशीलता विभाग के राज्य मंत्री श्री कृष्ण कुमार बिश्नोई ने भी यही बात दोहराई। उन्होंने कहा, "आज मैं यहां जो उत्साह देख रहा हूं, वह बदलाव को अपनाने की सामूहिक इच्छा को दर्शाता है। मैं एमएसडीई के तहत जन शिक्षण संस्थान पहल से विशेष रूप से प्रसन्न हूं। इस कार्यक्रम ने हमारे राज्य के कल्याण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जो पीएम मोदी के स्किलिंग, अपलिफ्टमेंट और अपस्किलिंग के विज़न के साथ पूरी तरह से मेल खाता है। एमएसएमई और एसएचजी क्लस्टर की सफलता ने हमारे राज्य को काफी लाभान्वित किया है, जिसमें महिलाएं प्राथमिक लाभार्थियों के रूप में उभरी हैं। हमें उम्मीद है कि राजस्थान ऐसे प्रयासों के माध्यम से प्रगति और संपन्नता जारी रखेगा, नए व्यवसायों और उद्योगों का केंद्र बनेगा और पर्याप्त रोजगार संभावनाएं पैदा करेगा।"

जयपुर में जेएसएस जोनल कॉन्फ्रेंस के अगले दो दिनों में, 45 जेएसएस प्रतिभागी एकेडमिक सेशन में भाग लेंगे और फिक्की, नाबार्ड, सिडबी और सीआईआई का प्रतिनिधित्व करने वाले पैनलिस्टों को सुनेंगे, क्योंकि वे नए युग की उद्यमिता में चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करेंगे। उपस्थित लोगों को सफल उद्यमियों के साथ बातचीत करने और उनके वित्तीय कौशल को बढ़ाने और बैंक फाइनेसिंग हासिल करने के लिए प्रक्रियाओं और औपचारिकताओं को समझने के उद्देश्य से प्रशिक्षण सेशन में भाग लेने का अवसर मिलेगा। दूसरे दिन जेएसएस के प्रदर्शन की समीक्षा, मार्गदर्शन और सहायता के माध्यम से लाइवलीहुड सेल को मजबूत करने और एनएसडीसी द्वारा स्किल इंडिया डिजिटल हब (सिद्ध) पर क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

वर्तमान में, 26 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में 290 जेएसएस संचालित हैं, जिनमें मध्य प्रदेश में 29, गुजरात में 8 और राजस्थान में 8 शामिल हैं। अब तक, प्रशिक्षित उम्मीदवारों के लिए कुल लाभार्थी संख्या 26,38,028 है और मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान से हमारे पास करीब 4.60 लाख लाभार्थी हैं जिन्होंने जेएसएस योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इन लाभार्थियों में मुख्य रूप से ग्रामीण और शहरी मलिन बस्तियों में शैक्षिक रूप से वंचित और सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े समूह शामिल हैं। प्रशिक्षित लाभार्थियों में से अधिकांश महिलाएँ हैं, जिनकी कुल संख्या 21.63 लाख (82%) है।

जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) योजना, जिसे मूल रूप से 1967 में श्रमिक विद्यापीठ (एसवीपी) के रूप में शुरू किया गया था, एक परिवर्तनकारी पहल है जिसे भारत सरकार से पूरी फंडिंग के साथ पंजीकृत सोसायटियों (एनजीओ) के माध्यम से कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। योजना का प्राथमिक लक्ष्य कौशल विकास प्रशिक्षण के माध्यम से स्व/मजदूरी रोजगार को बढ़ावा देकर घरेलू आय में वृद्धि करना है। जेएसएस द्वारा दिया जाने वाला प्रशिक्षण लचीला, किफायती और महिलाओं, अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अल्पसंख्यकों और अन्य वंचित समूहों के लिए अत्यधिक सुलभ है।

जेएसएस योजना की ताकत इसकी गहरी सामुदायिक भागीदारी और स्थानीय प्रशासन, गांव के अधिकारियों और अन्य प्रमुख हितधारकों की सक्रिय भागीदारी में निहित है। यह कोलैबोरेटिव अप्रोच इंफ्रास्ट्रक्चर, संसाधनों और लाभार्थियों के प्रभावी जुटाव को सुनिश्चित करता है। इसके अतिरिक्त, जेएसएस महत्वपूर्ण सामाजिक, आर्थिक, स्वास्थ्य, वित्तीय साक्षरता और पर्यावरण संबंधी मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए गतिविधियों का आयोजन करता हैं।

इस योजना का लक्ष्य 15-45 वर्ष की आयु सीमा में गैर-साक्षर, नव-साक्षर, प्राथमिक शिक्षा प्राप्त व्यक्ति और कक्षा 12वीं तक स्कूल छोड़ने वाले लोगों को लक्षित करना है। दिव्यांगजन और अन्य पात्र मामलों, विशेष रूप से महिलाओं के लिए आयु में छूट है। प्राथमिकता वाले समूहों में ग्रामीण और शहरी कम आय वाले क्षेत्रों में महिलाएं, एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक शामिल हैं।

इस योजना से विभिन्न सामाजिक तबकों को भी लाभ मिलता है, जिसमें 75.86% गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल), 26.38% एससी, 13.54% एसटी, 34.86% ओबीसी और 10.02% अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। अधिकांश लाभार्थी 15-25 वर्ष की आयु (56.41%) के हैं और उनकी शिक्षा का स्तर बहुत कम (53.46%) है।

जेएसएस योजना की एक मुख्य ताकत इसके सामुदायिक जुड़ाव और स्थानीय प्रशासन, गांव के कार्यकर्ताओं और अन्य स्टेकहोल्डर्स की भागीदारी में निहित है। यह बुनियादी ढांचे, संसाधनों और लाभार्थियों का प्रभावी जुड़ाव सुनिश्चित करता है, जिससे उन्हें ड्रेस मेकर, ब्यूटी केयर असिस्टेंट, हाथ की कढ़ाई, ड्राइविंग असिस्टेंट, कंप्यूटर ऑपरेटर और कई अन्य नौकरी के अवसरों को आगे बढ़ाने की अनुमति मिलती है। इसके अतिरिक्त, जेएसएस महत्वपूर्ण सामाजिक, आर्थिक, स्वास्थ्य, वित्तीय साक्षरता और पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए गतिविधियाँ संचालित करता है।

जोनल कॉन्फ्रेंस ने सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, चुनौतियों का समाधान करने और भविष्य की योजना बनाने के लिए एक प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य किया है। इन सम्मेलनों का उद्देश्य जेएसएस योजना के कार्यान्वयन और पहुंच को बढ़ाना है, यह सुनिश्चित करना है कि यह लक्षित समुदायों को प्रभावी रूप से सशक्त बनाना जारी रखे।

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