भारत को कृषि मशीनरी उद्योग में दुनिया के पावरहाउस के रूप में भारत

पुणे, 22 फरवरी2023): नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकॉनमिक रिसर्च (एनसीएईआर) भारत का एक प्रमुख आर्थिक नीति अनुसंधान विचार मंच है। माननीया केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राज्य मंत्रीशोभा करंदलाजे ने 7 फरवरी, 2023 को कृषि भवन में "मेकिंग इंडिय अ ग्लोबल पावरहाउस ऑन फार्म मशीनरी इंडस्ट्री" पर एनसीएईआर की नवीनतम रिपोर्ट जारी की।

राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) ने गैर-ट्रैक्टर कृषि मशीनरी उद्योग का मांग और आपूर्ति पक्ष दोनों ही दृष्टिकोणों से विश्लेषण किया है, इस क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियों को सामने लाया है, और अपनी रिपोर्ट में वैश्विक कार्य पद्धतियों को बेंचमार्क मानकर उपायों और सुधारों की संस्तुति की है।

इस उद्योग से असंख्य हितधारक जुड़े हुए हैं। एक ओर, हमारे पास विनिर्माण फर्में हैं, जिनमें बड़ी संख्या में बड़ी फर्में बाजार पर हावी हैं। दूसरी ओर, हमारे पास छोटे और सीमांत किसान हैं जो उत्पादों का उपभोग करते हैं। समस्या यह है कि उपकरणों को किराए पर लेने वाले छोटे एवं सीमांत किसानों और बाजार का विस्तार करने के इच्छुक उत्पादकों की आकांक्षाओं के बीच मेल नहीं है। जबकि भारत ने ट्रैक्टरों के उत्पादन और निर्यात में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन गैर-ट्रैक्टर कृषि मशीनरी के लिए बाजार आपूर्ति और मांग दोनों ही दृष्टियों से काफी सीमित है। चुनौती यह है कि बाजार का विस्तार कैसे किया जाए।

भारत को गैर-ट्रैक्टर कृषि मशीनरी के लिए स्वयं को उत्पादन और निर्यात केंद्र में बदलने के लिए अगले 15 वर्षों के लिए दूरदर्शी सोच की आवश्यकता है। नीतियां ऐसी होनी चाहिए जिनसे वर्तमान चुनौतियां हल हो सकें और यह दुनिया भर के सभी प्रकार के किसानों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले उपकरणों की रेंज का उत्पादन करके भारत के दोहरे कृषि मशीनरी बाजार को लाभपूर्ण बनाने के लिए उत्प्रेरक का कार्य कर सके।

मांग पक्ष से जुड़ी चुनौतियों को सुसंगत सब्सिडी नीति निर्माण और कार्यान्वयन, छोटे एवं सीमांत किसानों को दीर्घकालिक ऋण और विस्तार कार्यक्रमों को मजबूत करके हल किए जाने की आवश्यकता है।

दुनिया का कृषि मशीनरी उत्पादन केंद्र बनने के लिए भारत के पास 15 साल की दूरदर्शी योजना होनी चाहिए। गैर-ट्रैक्टर कृषि मशीनरी में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देकर, व्यापार करना अधिक आसान बनाकर, निर्यात एवं एफडीआई को प्रोत्साहन देकर, आयातित कृषि मशीनरी पर निर्भरता कम करके, गुणवत्ता में सुधार एवं इसे बनाए रख कर और कुशल श्रमिकों की कमी को दूर करके आपूर्ति पक्ष की चुनौतियों को हल किया जा सकता है।

एएमएमए-भारत के चेयरपर्सनश्री मितुल पांचाल ने कहा, ''हम रिपोर्ट के निष्कर्षों का स्वागत करते हैं। कुछ सिफारिशें फार्म मशीनरी उद्योग की लंबे समय से चली आ रही आवश्यकता रही हैं। यह उद्योग आज सस्ते आयातित सामान, कुशल जनशक्ति, अक्षम सब्सिडी तंत्र और शिक्षा-उद्योग सहयोग के साथ प्रतिस्पर्धा करने में बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है। इस रिपोर्ट की सिफारिशें फार्म मशीनरी क्षेत्र में बहुत जरूरी नीतिगत सुधारों के लिए काफी मददगार साबित होंगी।”

एनसीएईआर के प्रोफेसर और रिपोर्ट के प्रमुख सह-लेखकडॉ. बोर्नाली भंडारी ने कहा कि “भारतीय कृषि मशीनरी क्षेत्र में ट्रैक्टरों का वर्चस्व है। गैर-ट्रैक्टर कृषि मशीनरी क्षेत्र पैमाने, नवाचार और कीमतों के मामले में अप्रतिस्पर्धी हो गया है। संगठित कृषि मशीनरी क्षेत्र द्वारा किए जाने वाले उत्पादन और छोटे एवं सीमांत भारतीय किसानों की जरूरतों के बीच बेमेल है। गैर-ट्रैक्टर कृषि मशीनरी को वैश्विक हब के रूप में विकसित करने के लिए मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों पर श्रृंखलाबद्ध हस्तक्षेपों द्वारा उस बेमेलता को हल किए जाने की आवश्यकता है।"

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