मैक्स सुपर स्पेशलटी अस्पताल, शालीमार बाग ने 92 वर्षीय व्यक्ति में किया सफल रिविज़न टोटल नी रिप्लेसमेन्ट

8 फरवरी, 2023, नई दिल्लीः अपनी तरह की दुर्लभ उपलब्धि हासिल करते हुए मैक्स सुपर स्पेशलटी अस्पताल, शालीमार बाग ने 92 वर्षीय पुरूष की रिविज़न टोटल नी रिप्लेसमेन्ट सर्जरी (पूर्ण घुटना प्रत्यारोपण) को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इसी के साथ यह मरीज़ भारत में रिविज़न टोटल नी रिप्लेसमेन्ट सर्जरी करवाने वाला सबसे अधिक उम्र का व्यक्ति बन गया है।  

पहली सर्जरी के 17 वर्ष बाद मरीज़ को रिविज़न नी रिप्लेसमेन्ट की ज़रूरत थी। मैक्स सुपर स्पेशलटी अस्पताल, शालीमार बाग से डाॅ पलाश गुप्ता, डायरेक्टर- आर्थोपेडिक्स एण्ड जाॅइन्ट रिप्लेसमेन्ट एवं उनकी टीम ने इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

रिविज़न सर्जरी की ज़रूरत तब पड़ती है जब पिछला नी रिप्लेसमेन्ट ठीक से काम करना बंद कर देता है। 

साल 2005 में 75 वर्ष की उम्र में श्री सत्य स्वरूप की नी रिप्लेसमेन्ट सर्जरी की गई थी, जिसके बाद उनके घुटने ठीक से काम कर रहे थे। हालांकि पिछले 2 सालों में उन्हें घुटनों में दर्द और सूजन रहने लगी, उनका चलना-फिरना मुश्किल हो गया था। तब उन्होंने डाॅ पलाश गुप्ता, डायरेक्टर- आर्थोपेडिक्स एण्ड जाॅइन्ट रिप्लेसमेन्ट, मैक्स सुपर स्पेशलटी अस्पताल, शालीमार बाग से संपर्क किया।

जांच के बाद डाॅ पलाश गुप्ता ने बताया कि उनके इम्प्लान्ट की लाईफ खत्म हो गई और उन्हें फिर से नी रिप्लेसमेन्ट सर्जरी की ज़रूरत है। शुरूआत में मरीज़ और उनका परिवार सर्जरी करवाने से घबरा रहे थे, क्योंकि मरीज़ की उम्र बहुत अधिक है, साथ ही उन्हें कई अन्य बीमारियां भी हैं, जो आमतौर पर इस उम्र में होती हैं। लेकिन उनके असहनीय दर्द को देखते हुए परिवार सर्जरी के लिए तैयार हो गया।  

डाॅ पलाश गुप्ता, डायरेक्टर- आर्थोपेडिक्स एण्ड जाॅइन्ट रिप्लेसमेन्ट, मैक्स सुपर स्पेशलटी, अस्पताल, शालीमार बाग ने बताया, ‘‘भारत में अब तक इस उम्र के मरीज़ पर रिविज़न सर्जरी नहीं की गई। यह सर्जरी मुश्किल थी, क्योंकि मरीज़ की उम्र 92 वर्ष है और उन्हें कई अन्य बीमारियां भी हैं। लेकिन टीम ने मैक्स शालीमार बाग में उपलब्ध संसाधनों की मदद से सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। आॅपरेशन के अगले ही दिन मरीज़ अपने पैरों पर खड़ा हो गया और यहां तक कि चलने भी लगा।’’ 

रिविज़न सर्जरी हमेशा ज़्यादा मुश्किल होती है। इसमें ध्यान रखना होता है कि ब्लड, टिश्यू एवं बोन का नुकसान कम से कम हो, ताकि सर्जरी सफल रहे और इसके परिणाम अच्छे रहें। इस सर्जरी के लिए सर्जन का अनुभवी होना भी ज़रूरी होता है। 

मरीज़ ने कहा ‘‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि 92 वर्ष की उर्म में मैं सर्जरी करवाने की ताकत रखता हूं, लेकिन ऐसा हुआ, मुझे अपने आप पर गर्व है। यह सब डाॅ पलाश और उनकी टीम की वजह से संभव हो पाया, जिन्होंने मेरे जीवन के इस मुश्किल समय में मेरी अच्छी तरह देखभाल की।’’

अस्पताल में रहने के दौरान मरीज़ पर पूरी निगरानी रखी गई और सर्जरी के 5 दिनों बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई।  


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