बाल विद्यालय ने अर्ली चाइल्डहुड स्पेशल एजुकेशन हियरिंग इम्पेयर्ड (डीईसीएसईएचआई) में डिप्लोमा के लिए अभ्यर्थियों का चयन शुरू किया

राष्ट्रीय 18 जुलाई, 2022: वर्ष 1969 में स्थापित बाल विद्यालय, जोजन्म से छह साल की उम्र तक श्रवण बाधित बच्चों के लिए भारत के पहले प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्रों में से एक है, श्रवण बाधित बच्चों में भाषा कौशल विकसित करने में मदद करता है ताकि वे मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली में शामिल हो सकें, और बाल विद्यालय द्वारा यह सहायता निःशुल्क प्रदान की जाती है। स्कूली बच्चों के लिए रेसिड्युअलहियरिंग का सर्वोत्तम उपयोग करके, यह विद्यालय छात्रों के लिए मौखिक भाषा कौशल विकसित करने के लिए एक प्लेटफॉर्म का निर्माण करता है। रेसिड्युअल हियरिंग, श्रवण क्षमता समाप्त होने के बावजूद कुछ ध्वनियों को पहचान सकने की क्षमता होती है।

बाल विद्यालय एक विशेष पाठ्यक्रम का अनुसरण करता है जो प्रत्येक बच्चे को यथाशीघ्र कम उम्र में मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली में शामिल होने के लिए तैयार करने पर केंद्रित है। ये बच्चे 6 साल की उम्र तक नियमित स्कूलों में प्रवेश ले लेते हैं, जहाँ वे अपनी उम्र के अन्य छात्रों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए आवश्यक कौशल हासिल करते हैं। कम उम्र में बच्चे के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास हेतु ध्वनि (DHVANI) नामक एक विशिष्ट शिक्षण पद्धति का उपयोग किया जाता है। यहाँ ध्वनि (DHVANI) का आशय डेवलपमेंट ऑफ हियरिंग, वॉयस एंड नैचुरल इंटिग्रेशन (Development of Hearing, Voice, and Natural Integration) से है।

बालविद्यालय इंस्टीट्युट ऑफ टीचर ट्रेनिंग, एक वर्ष का प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्ध कराता है, जिसका नाम है - डिप्लोमा इन अर्ली चाइल्डहुड स्पेशल एजुकेशन हियरिंग इम्पेयरमेंट। यह पाठ्यक्रम शिक्षकों को बधिर या श्रवण बाधित शिशुओं और छोटे बच्चों को वाक और भाषा कौशल हासिल करने और पांच साल की उम्र तक मुख्यधारा में शामिल होने में मदद करने के लिए प्रशिक्षित करता है। डिप्लोमा को भारतीय पुनर्वास परिषद और तमिलनाडु सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है।

संस्थान का मुख्य लक्ष्य प्रारंभिक हस्तक्षेप तकनीकों (अर्ली इंटरवेंशन टेक्निक्स) में स्नातकों को प्रशिक्षित करना और अन्य स्थानों में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्र (अर्ली इंटरवेंशन सेंटर) शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है, ताकि श्रवण बाधित शिशुओं और छोटे बच्चों को प्रारंभिक मौखिक भाषा कौशल हासिल करने और समाज की मुख्य धारा में शामिल होने का अवसर मिल सके।

यह प्रशिक्षण उन सभी के लिए खुला है जिन्होंने कुल 50% से अधिक अंकों के साथ अपनी 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की है। स्नातकों को वरीयता दी जाती है। अभ्यर्थी को अंग्रेजी की समझ होनी चाहिए क्योंकि शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी है। कोर्स पूरा करने के बाद शिक्षक देश के किसी भी हिस्से में अपना केंद्र स्थापित कर सकते हैं, या अन्य केंद्रों में काम कर सकते हैं। बालविद्यालय, केंद्रों को चलाने में सभी तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करेगा। डिप्लोमा कोर्स की फीस 25,000 / -रु. है। इच्छुक अभ्यर्थी को भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा आयोजित अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा में भाग लेना होगा। प्रवेश 21 जुलाई तक खुले हैं।

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