एसीसी ने प्रदान की ‘ग्रेटिट्यूड इको-विला’ के निर्माण की सुविधा, पुडुचेरी में पूरी तरह से सस्टेनेबल और कम कार्बन फुटप्रिंट वाली सामग्री के साथ बनाया गया एक घर

मुंबई, 09 मई, 2022- वो क्या चीज है जो किसी इमारत को सस्टेनेबल बनाती है? कम कार्बन फुटप्रिंट वाले घर के निर्माण में कौन सी सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है? इस कार्बन फुटप्रिंट को और कैसे कम किया जा सकता है? ये कुछ ऐसे प्रश्न थे जिनका उत्तर भारत के सबसे सस्टेनेबल और इनोवेटिव सीमेंट निर्माताओं में से एक एसीसी लिमिटेड ने अपने हाउस ऑफ़ टुमॉरोको लॉन्च करते समय दिया यह एक ऐसी पहल है, जो कम संसाधन वाली सामग्री के माध्यम से निर्माण को बढ़ावा देने का प्रयास करती है और इस तरह ग्राहकों की संतुष्टि को बढ़ावा देते हुए कम कार्बन फुटप्रिंट वाली सामग्री का उपयोग किया जाता है।

एसीसी की मूल कंपनी वैश्विक सीमेंट प्रमुख होल्सिम ग्रुप के नेतृत्व में इस पहल के तहत जीरोकार्बन फुटप्रिंट वाली सामग्रियों से बने घरों को प्रदर्शित किया जाता है। भारत की पहली ऐसी परियोजना, जिसका नाम ग्रेटिट्यूड इको-विलाहै, पुडुचेरी में स्थित है। प्रसिद्ध सस्टेनेबिलिटी प्रोफेशनल, आर्किटेक्ट तृप्ति दोशी द्वारा डिजाइन किए गए इस प्रोजेक्ट में समग्र रूप से टिकाऊ घर बनाने के लिए सामग्री, जलवायु के मुताबिक तैयार की गई डिजाइन और स्मार्ट निर्माण पद्धतियों का उपयोग किया जाता है, ताकि ऐसे घरों में रहने वाले लोगों को और अधिक आराम और सुविधा प्रदान की जा सके।

लगभग सभी किस्म की निर्माण सामग्री में कार्बन फुटप्रिंट होता है क्योंकि इसके निर्माण के दौरान ग्रीनहाउस गैस कार्बन डाइऑक्साइड की कुछ मात्रा उत्सर्जित होती है। लेकिन ग्रेटिट्यूड इको-विलाने दिखाया है कि यह ईकोपैक्ट ग्रीन कंक्रीट, एसीसी सुरक्षा सीमेंट, फ्लाई-ऐश की ईंटों, और वर्जिन स्टील सुदृढीकरण के कम कार्बन विकल्प जैसी सामग्रियों के उपयोग के माध्यम से कार्बन उत्सर्जन को लगभग 40 प्रतिशत तक कम कर सकता है। हाउस ऑफ़ टुमॉरोके माध्यम से, एसीसी निर्माण क्षेत्र को एक ऐसे भविष्य की ओर मोड़ने का प्रयास करता है जहां हमारी पृथ्वी सामूहिक रूप से कम कार्बन से जुड़े भविष्य की ओर अग्रसर होती है। इस व्यवस्था में कम संसाधनों का उपभोग किया जात है और मौजूदा सामग्रियों का अधिकतम लाभ उठाकर सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाता है।

इस पहल के बारे मंे जानकारी देते हुए इंडिया होल्सिम के सीईओ श्री नीरज अखौरी ने कहा, ‘होल्सिम इंडिया और इसकी दो ऑपरेटिंग कंपनियों-एसीसी और अंबुजा सीमेंट्स के लिए हमारा दृष्टिकोण भारत में सभी के लिए सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन को आसानी से सुलभ बनाना है। हम इसे सिर्फ बुनियादी ढांचे और वाणिज्यिक इमारतों तक ही सीमित नहीं रखना चाहते। हमें भारत में हाउस ऑफ टुमॉरोपहल की शुरुआत करते हुए गर्व हो रहा है, जो हमें हरित उत्पादों और टिकाऊ समाधानों को अपनाने के लिए घर बनाने वालों की भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने में मदद करेगी। हम दृढ़ता से मानते हैं कि इनोवेशन और स्मार्ट डिजाइन के माध्यम से सस्टेनेबिलिटी किसी भी स्थान पर और किसी भी मूल्य सीमा पर सभी के लिए उपलब्ध है।

द ऑरोमा आर्किटेक्चर, पुडुचेरी की प्रमुख वास्तुकार सुश्री तृप्ति दोशी, जिन्होंने ग्रेटिट्यूड इको विला डिजाइन किया है, ने कहा, ‘इस पहल के बारे में सबसे रोमांचक बात यह है कि हाउस ऑफ टुमॉरोलोगों और एक सस्टेनेबल फ्यूचर के निर्माण के लिए ग्रह की जरूरतों का जवाब देने का अवसर है। विरासत में मिले ज्ञान और अत्याधुनिक आधुनिक तकनीकों को एकीकृत करते हुए ऑरोमा समग्र इमारतों के डिजाइन और निर्माण में माहिर है। ग्रेटिट्यूड इको-विलामें, होल्सिम और एसीसी ने उचित हरित निर्माण सामग्री का उपयोग करके और पर्यावरण पर उनके प्रभाव की गणना करके ऑरोमा की डिजाइन और निर्माण क्षमता की सराहना की है। हम इस सहयोग का हिस्सा बनने के लिए पूरी तरह से रोमांचित और गहराई से आभारी हैं जिसने हमारे वास्तुशिल्प अभ्यास में एक नया, प्रेरक और उल्लेखनीय बेंचमार्क स्थापित किया है। यहाँ से अब सिर्फ आगे, और आगे ही जा सकते हैं!

ग्रेटिट्यूड इको-विला के मालिक श्री प्रबोध दोशी और श्रीमती रोमा दोशी ने गर्व से कहा, ‘हम दृढ़ता से मानते हैं कि हमें अपने माता-पिता से पृथ्वी विरासत में नहीं मिली है, बल्कि यूं समझिए कि हम इसे अपने बच्चों से उधार लेते हैं। हमारी इमारतें हमसे आगे निकल जाएंगी। यह वह विरासत है जिसे हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए छोड़ रहे हैं। इसलिए, इस विरासत को एक जिम्मेदार तरीके से बनाया जाना चाहिए। हमारे सस्टेनेबल घर को तैयार करने के लिहाज से एक टीम के लिए हमारी खोज का इससे बेहतर परिणाम नहीं हो सकता था! हम भारत में शीर्ष 10 सस्टेनेबल आर्किटेक्ट्स में से एक, तृप्ति दोशी और उनकी डिजाइन एंड कंस्ट्रक्शन फर्म ऑरोमा आर्किटेक्चर को पाकर खुश थे। जब हमें पता चला कि एसीसी समान आदर्शों की कल्पना करता है, और कंपनी के पास हमारे घर के निर्माण में तकनीकी रूप से समर्थन करने के लिए अत्याधुनिक विशेषज्ञता है, तो हमने उन्हें जल्द से जल्द अपने साथ शामिल करने का फैसला किया। परिणाम हमारे सामने है- यह एक ऐसा असाधारण घर है जो पृथ्वी के पोषण के साथ-साथ हमारे कल्याण की भावना को भी बढ़ाता है। हम ग्रेटिट्यूड इको-विला में कदम रखने के लिए कृतज्ञता से अभिभूत हैं। हम अपने सबसे बड़े सपने को साकार करने में मदद करने के लिए एसीसी और टीम ऑरोमा आर्किटेक्चर के बहुत आभारी हैं - एक लिविंग ग्रीन होम का निर्माण करना जिस पर हमें और हमारी आने वाली पीढ़ियों को गर्व होगा।

एसीसी के एमडी और सीईओ श्री श्रीधर बालकृष्णन ने कहा, ‘श्री और श्रीमती दोशी को पहला और महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए मेरी ओर से हार्दिक बधाई! मैं इस प्रोजेक्ट की वास्तुकार सुश्री तृप्ति दोशी को भी बधाई देना चाहता हूं, जिन्होंने इको-विला की परिचालन ऊर्जा और सन्निहित ऊर्जा दोनों को शामिल करते हुए डिजाइन के माध्यम से असाधारण योगदान दिया है।

चयन प्रक्रिया के दौरान 40 से अधिक प्रसिद्ध आर्किटेक्ट्स को हाउस ऑफ़ टुमॉरो पहल में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। जूरी द्वारा ग्रेटिट्यूड इको-विला को भारत में पहले हाउस ऑफ़ टुमॉरो के रूप में चुना गया था क्योंकि यह एक खूबसूरती से डिजाइन किए गए घर को प्रदर्शित करने के उद्देश्य को पूरा करता था जो कम कार्बन वाली सामग्री और सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन का उपयोग करता था।

हाउस ऑफ टुमॉरो को डिजाइन, रिलेटेबिलिटी, सस्टेनेबल प्रथाओं के साथ परियोजना की समयसीमा को पूरा करने के लिए टीम की प्रतिबद्धता, सस्टेनेबल डिजाइन और सस्टेनेबल प्रथाओं के लिए आर्किटेक्ट की प्रतिबद्धता जैसे मापदंडों के आधार पर सम्मानित किया गया है।

इस अनूठी परियोजना को पांच देशों-भारत, केन्या, फ्रांस, कनाडा और मैक्सिको में समन्वित किया जा रहा है- जिसका उद्देश्य निवासियों के लिए दीर्घकालिक मूल्य बनाते हुए पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालना है।

यह पहल हैशटैग चेंज द स्टोरीसे भी जुड़ी है, जो एसीसी और अंबुजा सीमेंट्स की ओर से सस्टेनेबिलिटी पर एक संयुक्त पहल है, जिसमें आगरा में मंटोला नहर में एक नॉन-इनवेसिव बबल बैरियर तकनीक तैनात की गई थी। बैरियर ने लगभग 2400 टन प्लास्टिक कचरे को यमुना नदी में प्रवेश करने से रोक दिया है।

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