स्टार्ट-अप्स में निवेश के जरिए कृषि समृद्धि का संवर्धन

मुंबई 14 अप्रैल , 2022: जहाँ, पिछले दो वर्षों से कोविड जाहिर तौर पर हावी रहा है, लेकिन सरकार द्वारा जिन बड़े लक्ष्यों की रूपरेखा प्रस्तुत की गयी है उस ध्यान केंद्रित किये रखना महत्वपूर्ण है जैसे कि वित्त वर्ष 25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का प्रेरणादायक लक्ष्य।

ग्रामीण भारत और विशेष रूप से कृषि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण वाहक होगा और दरअसल इस लक्ष्य से कहीं अधिक ही हासिल करने में सहायक होगा। सांख्यिकी मंत्रालय के अनुसार, सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान 2018 -19 के 17.6% से बढ़कर 2020 -21 में 20% से अधिक हो गया है।

विज्ञान आधारित कृषि विज्ञान, मशीनीकरण और डिजिटलीकरण जैसी आधुनिक कृषि पद्धतियों को व्यापक रूप से अपनाने से इस क्षेत्र को मजबूती मिलेगी और यह अधिक लचीला बनेगा।

वास्तव में, परिवर्तन की हवा बह रही है और 370 बिलियन डॉलर का यह क्षेत्र कई स्टार्ट - अप्स के उद्भव के साथ - साथ महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी और नियामक परिवर्तनों के दम पर अच्छी तरह से बदल सकता है।

उच्च गति वाले इंटरनेट की उपलब्धता और परिपक्व होते डिजिटल कंटेंट के माध्यम से भारत के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अनुकूल स्थितियों के मद्देनजर, यह कृषि में नवाचार के लिए आकर्षक अवसर है जहाँ आधुनिक प्रौद्योगिकियों जैसे एआई, एमएल, आईओटी और सॉफ्टवेयर ऐज अ सर्विस (एसएएएस) का प्रभावी रूप से उपयोग होगा।

एग्टेक क्षेत्र के स्टार्ट - अप्स में विकास पूंजी का प्रवाह बढ़ रहा है जिसकी मार्केट लिंकेज से लेकर वित्तपोषण, प्रेसिजन फार्मिंग और मशीनीकरण सेवाओं तक की मूल्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका है। लेकिन स्टार्ट - अप्स को लेकर हो रही चर्चाओं और बड़े मूल्यांकन को सार्थक जमीनी प्रभाव में बदलने के लिए क्या करना होगा जिससे आर्थिक रूप से किसान की आय दोगुनी करने में मदद मिले?

महिंद्रा एंड महिंद्रा के फार्मिंग ऐज अ सर्विस पर केंद्रित इन-हाउस एग्टेक वर्टिकल, कृष-ई के साथ इनके अनुभव पर आधारित 5 पॉइंटर यहाँ दिये जा रहे हैं।

ए) पैसा दिखना चाहिए

कृष-ई में हम यह सुनिश्चित करने का निरंतर प्रयास करते हैं कि पारिस्थितिकी तंत्र में शामिल किसानों और तकनीक को अपनाने वाले अन्य संबंधित लोगों की प्रति एकड़ आय पर सकारात्मक प्रभाव पड़े और उनके आरंभिक निवेश पर उन्हें तेजी से भुगतान प्राप्त हो।

बी) मॉडल को फिजिटाइज करें

कृष-ई तकनीक भूखंडों (प्रदर्शन भूखंडों) के लिए प्रयुक्त जमीनी सलाहकार और रेंटल समाधान किसानों को अनुभवजन्य प्रमाण देते हैं, विश्वास और स्थानीय संबंधों का निर्माण करते हैं और फिजिकल ट्रांजेक्शंस को आसान बनाते हैं। कृष-ई के डिजिटल समाधान, किसानों और अन्य हितधारकों को विशिष्ट अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं और उपयोग के मामलों का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।


सी) विकास अच्छी बात है लेकिन ग्रोथ हैक्स से सावधान रहें

लंबी अवधि के लिए व्यवसाय खड़ा करने का एक अच्छा तरीका यह सुनिश्चित करना है कि सभी प्रमुख गतिविधियों से वास्तव में भारतीय कृषि की बड़ी समस्याओं का समाधान हो। इस तरह शॉर्ट-कट से बचा जा सकता है। उदाहरण के लिए, कृष-ई ने 2 साल पहले 10 तकनीक प्लॉट्स के साथ शुरुआत की थी और आज यह 4000 लाइव प्लॉट्स तक बढ़ गया है।

डी) साझेदारी का ताना-बाना बुनें

हमने अपने कृष-ई अनुभव से जाना है कि साझेदारी के ताने-बाने में काम करना सर्वश्रेष्ठ होता है। हम ऐसे प्रौद्योगिकी भागीदारों के साथ मिलकर काम करते हैं जिन्हें रिमोट सेंसिंग, इमेजरी एनालिटिक्स, आईओटी और एआई में विशेषज्ञता प्राप्त है। उनके साथ मिलकर काम करते हुए हम अत्याधुनिक तकनीकों के जरिए किसानों के लिए त्वरित एवं किफायती समाधान तैयार करते हैं और इसे सक्षम करने के लिए हमने वास्तव में 3 ऐसे स्टार्ट-अप्स में निवेश किया है

ई) एकीकृत समाधान प्रदान करें

किसानों और बी2बी ग्राहकों को अधिक लाभ कमाने और प्रति एकड़ अधिक पैदावार पाने में सहायता करने पर केंद्रित कृष-ई जैसे स्टार्ट-अप के लिए, एकीकृत समाधान प्रदान करना महत्वपूर्ण है। यह हमारा विश्वास है कि ऐसे स्टार्ट-अप्स जिन्हें किसानों के लिए प्रति एकड़ बेहतर परिणाम प्रदान करने में उत्कृष्टता प्राप्त है, वो कृषि मूल्य श्रृंखला में से साझेदारों को आकर्षित करने में बेहतर स्थिति मे होंगे।

रमेश रामचंद्रन, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, एफईएस स्‍ट्रेटजी एंड एफएएएस, एमएंडएम लिमिटेड

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