कंगना रनौत देश से सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगे

दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक दमन प्रतिरोध आन्दोलन के घटक संगठनों की आज हुई एक बैठक में सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित कर अभिनेत्री कंगना रनौत के उस बयान की निंदा की गई जिसमें उन्होंने कहा है कि “1947 में देश को जो आज़ादी मिली वो आज़ादी भीख में मिली थी और असली आज़ादी देश को 2014 में मिली है।“

बैठक में उपस्थित सभी नेताओं ने उनके इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए मांग की कि वे सार्वजनिक रूप से देश से माफ़ी मांगें। बैठक में गांधीवादी नेता और एफडीसीए (फ़ोरम फॉर डेमोक्रेसी एण्ड कम्युनल एमिटी) के प्रदेशाध्यक्ष सवाई सिंह, एनएफआईडब्ल्यू की प्रदेशाध्यक्ष निशा सिद्धू, सीपीआई (एम) के डा. संजय माधव, जमाअते इस्लामी हिन्द के प्रदेश महासचिव डा. मुहम्मद इक़बाल सिद्दीक़ी तथा अन्य नेता उपस्थित थे। सभी नेताओं ने कहा कि देश की आज़ादी सभी धर्मों एवं जातियों के स्वतंत्रता सेनानियों, शहीदों के बलिदान से मिली है। महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, मौलाना मुहम्मद अली जोहर, भगत सिंह, बिस्मिल, चंद्रशेखर, अश्फाक़ुल्लाह तथा अन्य अनेक स्वतंत्रता के नायकों के संघर्ष से आज़ादी मिली है। सभी नेताओं ने कहा कि कंगना का बयान सभी शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है अतः सरकार उन्हें दिया गया पद्मश्री पुरस्कार भी वापस ले।

प्रस्ताव में यह भी निर्णय लिया गया कि केन्द्रीय गृहमंत्री द्वारा दिये गए जनगणना के साथ एनआरसी/एनपीआर सम्पन्न कराने सम्बन्धी बयान के संदर्भ में जनता को जागृत किया जाएगा तथा इस सम्बन्ध में प्रदेश स्तर का एक कन्वेंशन भी आयोजित किया जाएगा। प्रस्ताव में पिछले दिनों बांग्लादेश में हिन्दुओं के विरुद्ध तथा त्रिपुरा में मुसलमानों के विरुद्ध सरकारी संरक्षण में हुई हिंसा की कड़ी निंदा की गई तथा केन्द्र सरकार से मांग की गई कि वह त्रिपुरा में हिंसा रुकवाने, अल्पसंख्यकों की रक्षा करने और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए समुचित क़दम उठाए।

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