भीलवाड़ा के टीचर्स ने दोबारा स्कूल जाने के बाद अपने अनुभवों को याद करते हुए कहा, “अलग-अलग चुनौतियों के बावजूद पढ़ाई के प्रति स्टूयडेंट्स के उत्साह ने हमेंऑनलाइन पढ़ाने का आत्मविश्वास दिया”

 

भीलवाड़ा, 08 सितंबर 2021:अब तक स्‍टूडेंट्स को ऑनलाइन पढ़ाना काफी लाभदायक साबित हुआ है लेकिन शिक्षक समुदाय के लिए पिछला डेढ़ साल इतना आसान नहीं था। यह मुश्किल वक्‍त फ्यूचर लाइन वर्कर्स यानी स्कूल मालिकों के गुमनाम प्रयासों के लिए लिए पूरी तरह से आउट ऑफ सिलेबसथा। इन स्‍कूल मालिकों ने टीचर्स के लिए एक मेंटर और स्‍टूडेंट्स के लिए एक एजुकेटर का काम किया।

 

शिक्षकों को स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे डिवाइसेज का इस्तेमाल सीखना पड़ा। उन्हें डिजिटल सॉफ्टवेयर और अन्य प्लेटफॉर्मों के प्रयोग में कुशल बनना पड़ा। उन्हें शिक्षण के क्षेत्र में स्‍टूडेंट्स की पढ़ाई बेरोकटोक करने के लिए पढ़ाने के नए-नए तरीकों का प्रयोग करना पड़ा। स्कूल के मालिकों ने शिक्षकों को लगातार सशक्त बनाना जारी रखा। उन्होंने पैरंट्स को आश्वस्त किया और स्‍टूडेंट्स की नए माहौल में सीखने और उन्हें नए वातावरण में एडजस्ट करने में मदद की। इसके लिए काफी नए-नए तरीके ईजाद किए गए।

 

एडटेक (एजुकेशन टेक्‍नोलॉजी) लीड, जोकि देशभर में के-12 सेगमेंट में 2000 से अधिक स्‍कूलों को पावर करता है, ने भारत के शिक्षकों तक पहुंच बनाई ताकि महामारी के दौरान उनके सामने आ रही चुनौतियों को समझा जा सके और स्‍कूल दोबारा खुलने पर प्रभावी शिक्षण की दिशा में उनकी अपेक्षाओं के बारे में जानकारी मिल सके। भीलवाड़ा के कई टीचर्स यह महसूस करते हैं कि उन्‍हें स्‍टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए तकनीक को अपनाना पड़ा।

 

भीलवाड़ा में कोठारी पब्लिक स्कूल की दिव्या बाबेल ने अपना अनुभव याद करते हुए कहा, हमें केवल स्‍टूडेंट्स को मैनेज करके नए माहौल के अनुसार उन्‍हेंढालना नहीं पड़ा, बल्कि हमें स्‍टूडेंट्स के पैरंट्स को भी इस नए इकोसिस्टम से परिचित कराना पड़ा। LEAD@Homeवीडियोजने हमें अपने लेसन प्‍लांस की योजना बनाने में मदद मिली। इसके साथ ही हमने समय का प्रबंधन किया और समय से स्‍टूडेंट्स की किसी भी विषय को समझने में सामने आ रही परेशानियों को सुलझाया।

 

कोठारी पब्लिक स्कूल की एक और शिक्षिका रचना पाठक ने कहा, ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाना एक बड़ी चुनौती थी। वहां नेटवर्क की कनेक्टिविटी बहुत खराब थी। उनके पास ऑनलाइन क्लासेज अटेंड करने के लिए संसाधन नहीं थे। इसके अलावा उन बच्चों के पैरंट्स को ऑनलाइन टीचिंग के फायदे के बारे में समझाना काफी चुनौतीपूर्ण था, जो इस तरीके से पढ़ाई करने की पद्धति से बिल्कुल अनजान हैं।

 

लीडके सहसंस्थापक और सीईओ सुमित मेहता ने कहा, स्‍टूडेंट्स और अभिभावकों के अलावा टीचर्स ने भी महामारी के प्रकोप से सामने आई चुनौतियों का काफी साहस से सामना किया। पिछला एकेडेमिक ईयर खासतौर से शिक्षकों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण था। उनके पास अपना नजरिया बदलने और बदली हुई स्थिति में पढ़ाने की तैयारी करने के लिए बिल्कुल भी समय नहीं था। स्कूलों को सभी टीचर्स को डिजिटल रिसोर्सेज जैसा जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करना चाहिए, जिससे स्‍टूडेंट्स को ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों फॉर्मेट में बेजोड़ शिक्षा प्रदान की जा सके।

 

इतने लंबे समय तक स्‍कूलों का बंद होना पूरी तरह से आउट ऑफ सिलेबस था। इस समय हमारे फ्यूचर लाइन वर्कर्सने यह सुनिश्चित करने के लिए बिना थके रात-दिन काम किया कि पढ़ाई कभी बंद न हो। अब समय आ गया है कि हम अपना ध्यान राज्यों में दोबारा से स्कूल खोलने की ओर लगाएं।

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