"मैं अनुभूत सत्य की दुनिया में जीता हूं। मैं मानता हूं कि हर व्यक्ति को अपने सत्य की खोज करनी चाहिए।" - पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित श्री प्रसून जोशी, सत्य विज्ञान फाउंडेशन की ट्रुथटॉक्स सीरीज़ में
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दो बार जीत चुके श्री
प्रसून जोशी के लिखे कई गीत और संवाद बहुत लोकप्रिय हैं,
'ठंडा मतलब
कोका-कोला' जैसे उनके एड कैंपेन्स लोगों के दिलों-दिमाग में
हमेशा के लिए बस चुके हैं। शनिवार 19 जून 2021 सुबह 11 बजे यूट्यूब पर उनके साथ वार्ता का आयोजन किया गया
था और इसकी एंकरिंग इनाम होल्डिंग्स के निदेशक श्री मनीष चोखानी ने की।
बातचीत में, श्री जोशी ने अपने जीवन के समृद्ध
अनुभवों और विश्वदृष्टि के बारे में कई विचार सांझा किए। अपने आप को स्वभाव से
आशावादी बताते हुए उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण है कि हम अपने देश और हमारे समाज की
ताकत के बारे में बात करते रहें और जो गलत है उसकी रट लगाने के बजाय उसे सही करने
के लिए कुछ न कुछ करें। श्री जोशी ने
व्यवसाय उद्योग और विज्ञापन क्षेत्र के बारे में उनके विचार भी बताए। उन्होंने
बताया, "कोई भी व्यवसाय जो समाज की भलाई
के साथ तालमेल नहीं रखता है, जो अपने काम में समाज के
प्रति चिंता को महत्वपूर्ण नहीं मानता है, वो व्यवसाय अंततः ख़त्म
हो जाएगा।" उन्होंने कहा, "मैं सोच-समझकर विकल्प
चुनने की शक्ति में विश्वास रखता हूं। विज्ञापन किसी चीज के पीछे छिपा नहीं होता।
विज्ञापन आपको स्पष्ट रूप से बताता है कि मैं एक विज्ञापन हूं और मैं उम्मीद कर
रहा हूं कि आप मुझे आजमाएंगे। एक विज्ञापन होने के नाते, मैं आपका मनोरंजन करने
और आपके दिमाग में अपनी जगह बनाने के लिए अतिशयोक्ति का उपयोग करने जा रहा
हूं।"
उनसे मार्गदर्शन लेने के लिए उत्सुक उद्यमियों के
बारे में उन्होंने बताया कि उन्हें उद्यमियों के प्रति काफी लगाव है। उन्होंने आगे
कहा कि वे इस बात के गहरे कारणों को समझने की कोशिश करते है कि उद्यमी किसी विशेष
विचार या परियोजना पर काम क्यों करना चाहते हैं। श्री जोशी के अनुसार यही
उद्यमियों की सच्चाई का मूल होता है।
उन्होंने विज्ञान, आध्यात्मिकता और सोशल
मीडिया के विषयों पर बातचीत की, साथ ही दुनिया से अराजकता को दूर करने में संवाद की
महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वह अनुभूत सत्य की दुनिया
में जीते हैं, और यह कि दुनिया ब्रह्मांडीय मन का एक विचार
प्रक्षेपण है। इसे समझाने के लिए उन्होंने नदी के रूपक का इस्तेमाल किया:
"नदी के आक्रामक ज्वार की विरुद्ध दिशा में तैरने वाले व्यक्ति का अनुभव नदी
के किनारे खड़े रहकर ध्यान कर रहे व्यक्ति के अनुभव से अलग होता है; जो तट पर खड़ा है, उसके लिए नदी शांत है। नदी एक ही
है लेकिन वास्तविकताएं अलग-अलग हैं।"
कुछ लोग उनके विचारों और उनके काम पर कैसे
प्रतिक्रिया देते हैं, इस पर टिप्पणी करते हुए, उन्होंने एंकर से कहा, “आज समस्या यह है कि इससे
पहले कि आप खुद को जानें और खोजें, दुनिया आप पर लेबल लगाने
और आपको परिभाषित करने की जल्दी
में है। जब आपके स्वभाव आदि के बारे में पूर्वानुमान लगाना कठिन होता है तो दुनिया
बेचैन हो जाती है। हमें यह याद रखने की जरूरत है कि समाज में जो स्वीकार्य है वह
लगातार विकसित होता रहता है, कुछ भी बदलाव की परिधि
से बाहर नहीं है। मैं सोचता हूं कि जो लोग घमंडी होते हैं और मानते हैं कि वे
दुनिया को जानते हैं, वे कभी भी अपना सच नहीं खोज
पाएंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि हमें भ्रम की स्थिति में शांत
रहना सीखना होगा, क्योंकि यह वही समय होता
है जब हम सबसे अधिक फलदायी स्थिति में होते हैं और विकल्पों और संभावनाओं के बारे
में सोच रहे होते हैं और वास्तव में खोज करते हैं। उन्होंने जीवन में आने वाले
अवसरों को अपनाने के लिए पूरी तरह से तैयार होने के लिए अभ्यास और तैयारी के महत्व
पर जोर दिया।
उनके जीवन सिद्धांतों के बारे में अधिक जानने के लिए
और उनके गीत उनकी ज़ुबानी सुनने के लिए, कृपया यहां क्लिक करें:
https://youtu.be/HOo0zjbRhPU
फाउंडेशन के विषय में –
ट्रूथटॉक्स
और सत्य विज्ञान फाउंडेशन, देश
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सहयोग फाउंडेशन का उद्देश्य तीन प्रमुख धुरियों - नागरिकता शिक्षा, स्वयंसेवा और परिवेशी सहयोग पर
जिम्मेदार नागरिकता एवं समाज का निर्माण करना है। अधिक जानकारी हेतु, www.deshapnayen.org पर
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ट्रूथटॉक्स के विषय
में -
ट्रूथटॉक्स, सत्य विज्ञान फाउंडेशन और देश अपनाएं के संस्थापक, श्री वल्लभ भंशाली की एक पहल है। इसका उद्देश्य उन लोगों से सीखना और
प्रेरित होना है जिन्होंने अपने जीवन में सत्य के 'प्रयोग' किये हैं। इस श्रृंखला का क्रम ऐसा है कि हर वर्ग के लोग सत्य जो प्रकृति का
सबसे शक्तिशाली प्रक्रिया है उसे बेहतर ढंग से समझ सकें। सत्य वस्तुत: महज़ एक
नैतिक मूल्य या कानूनी बाध्यता से बढ़कर जन-जीवन में अधिक शांति, विश्वास एवं सम्मान लाने हेतु एक व्यावहारिक उपकरण
के रूप में अपनाया जा सके। असत्य कानूनी रास्तों और अनाज के बिगड़े हुए ढर्रे के
कारण महज एक महँगी आदत ही है, आवश्यकता
नहीं। ट्रूथ टॉक्स के माध्यम से प्रेरित होकर आप थोड़े ही समय में इसमें से निकल
कर जीवन में क्रांति जा सकते हैं।