तपोवन बैराज ने उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा के दौरान गाँवों को बड़े पैमाने पर तबाह होने से बचाया
तपोवन बैराज ने इस प्राकृतिक आपदा को झेला और बढ़ते पानी के दबाव को कम कर दिया, और इस तरह तलहटी में बसे गाँवों को बड़े पैमाने पर तबाह होने से बचाया।
लेकिन तपोवन परियोजना में बैराज के लिए जीवन और संपत्ति का नुकसान बहुत बड़ा है। अलकनंदा नदी में हिमस्खलन और जल-प्रलय के बावजूद, एनटीपीसी बैराज ने पानी के दबाव को झेल लिया और इस तरह बहुत बड़े इलाके में प्रलयंकारी बाढ़ की आशंका को खत्म कर दिया।
इस आपदा में जानमाल, सामग्री और निवेश का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है, क्योंकि साइट पर निर्माण कार्य पूरे जोरों पर था। नुकसान का प्रारंभिक अनुमान 1,500 करोड़ रुपए आंका गया है। नतीजतन, यह परियोजना, जिसके 2023 तक पूरा होने की उम्मीद लगाई गई थी, अब कम से कम 2-3 साल की देरी से पूरी हो पाएगी।
हालांकि आवश्यक सुरक्षा उपाय किए गए थे और भूकंप तथा अन्य सभी पर्यावरणीय और पारिस्थितिक कारकों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद ही इस साइट का चयन किया गया था, फिर भी कोई भी प्रोजेक्ट या इन्फ्रास्ट्रक्चर इस पैमाने की प्राकृतिक आपदा के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, जिससे बचने के लिए किए जाने वाले एहतियाती उपायों के लिए बहुत कम समय मिलता है।