फिक्की ने निजी अस्पतालों में कोविड के इलाज की तर्कसंगत लागत का समाधान दिया


नई दिल्ली.  पहले से आर्थिक तनावग्रस्त स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में पारदर्शितानैतिकता और करुणा के साथ कोविड के इलाज को बढ़ावा देने के लक्ष्य से फिक्की स्वास्थ्य सेवा समिति के तहत गठित फिक्की कोविड-19 रिस्पांस टास्क फोर्स ने बैठकों के एक दौर के बाद तर्कसंगत खर्च का प्रारूप तैयार किया है। इससे मरीजों और पूरे समुदाय का निजी अस्पताल में इलाज के भारी खर्चे का भय दूर होगा। भारत में बढ़ते कोविड मामलों के बीच अस्पताल और सरकारअस्पताल और बीमा कम्पनियों और फिर आम जनता में कोविड के इलाज के खर्चों को लेकर आपकी विश्वास कम होने लगा है। भारत और पूरी दुनिया के चिकित्सक अभी भी कोविड-19 के इलाज का स्पष्ट प्रोटोकॉल कायम करने में असफल रहे हैं। ऐसे में सह-रुग्णता वाले मरीजों को उपचार की सलाह देना बहुत बेहद मुश्किल हो रहा है। इस राष्ट्रीय आपदा में कोविड संकट की सबसे अधिक मार निजी अस्पताल सह रहे हैं। ये देश को कोविड-19 संकट से उबारने की रणनीति का सुझाव देकर सरकार का मनोबल बढ़ा रहे हैं और कोविड 19 के इलाज की विशेष बुनियादी सुविधा और कुशल मानव संसाधन भी दे रहे हैं। यह बताना आवश्यक है कि अन्य सभी क्षेत्रों की तरह निजी स्वास्थ्य सेवाएं भी अत्यधिक वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही हैं। डॉक्टरोंनर्सों और स्वास्थ्य कर्मियों का आवागमन बाधित है। ड्यूटी पर संक्रमित होने के बाद बड़ी संख्या में सामने मोर्चा संभाले स्वास्थ्यकर्मी और डॉक्टर अनुपस्थित हैं। सस्ती दरों पर दवाइयां और पीपीई नहीं मिल रहे हैं और इलाज का खर्च तय करने का कोई प्रारूप नहीं बना है। भारत के प्रमुख निजी अस्पतालों के प्रतिनिधियों को शामिल कर बने फिक्की कोविड-19 रिस्पांस टास्कफोर्स ने इस विषय पर गहन विचार-विमर्श किया और लेखा पद्धति का विकास किया है ताकि देश हित में कोविड के इलाज की समुचित लागत का मानक कायम हो। सरकार के रेफर किए मरीजों के अनुसार खुद जेब से भुगतान करने मरीजों और टीपीए से बीमा कवर प्राप्त मरीजों की कैटेगरी बनाई गई है। इसके उपरांत मरीज की गंभीरता के मद्देनजर तीन स्तर की सब-कैटेगरी भी बनाई गई है:


 मरीज जिन्हें गहन चिकित्सा नहीं चाहिए पर आइसोलेशन में रखा गया (आइसोलेशन वार्ड)


मरीज जिन्हें गहन चिकित्सा चाहिए पर वेंटिलेशन पर नहीं रखा गया (वेंटिलेटर बिना आईसीयू)


मरीज जिन्हें गहन चिकित्सा और वेंटीलेटर सपोर्ट भी चाहिए (वेंटीलेटर सहित आईसीयू)


इस अनुशंसा के अनुसार खुद की जेब से खर्च करने वाले मरीज को आइसोलेशन वार्ड में इलाज के लिए प्रति दिन 17,000रु. और आईसीयू के लिए प्रति दिन 45,000 रु. (वेंटिलेटर के साथ) का भुगतान करना चाहिए। इनमें दवाइयांकंज्यूमेबल्स और बुनियादी जांच शामिल हैं लेकिन पीपीई की कीमतमहंगी दवाइयों और किसी भी सह-रुग्णता को इससे बाहर रखा गया है। ये दरें सांकेतिक हैं और अलग-अलग अस्पतालों में इनमें 5-10 प्रतिशत तक अंतर हो सकता है। उपरोक्त विवरण देते हुए डॉ. संगीता रेड्डीअध्यक्षफिक्की और ज्वाइंट एमडीअपोलो हॉस्पीटल्स ग्रुप ने कहा, ‘‘निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र इस कठिनतम समय में पूरी नैतिकतापारदर्शितापेशा योग्यता और सहानुभूति के साथ सेवा देने की कोशिश कर रहा है।’’ डॉ. आलोक रॉयअध्यक्ष-फिक्की स्वास्थ्य सेवा समिति और अध्यक्ष-मेडिका ग्रुप ऑफ हॉस्पीटल्स ने बताया कि यह स्वीकार करना होगा कि कोविड के इलाज के खर्चों को तर्कसंगत बनाना मुश्किल है क्योंकि उपचार का स्वरूप ज्ञात नहीं होता और मरीजों में विभिन्न अन्य बीमारियां होती हैं। इतना ही नहींकोविड और गैर-कोविड मरीजों को अलग रखना भी आवश्यक है। इसके लिए बुनियादी ढांचे पर भारी निवेश करना होगा। हम ने जिस तरह लागतों की सिफारिश की है मुमकिन है उस पर निजी क्षेत्र काम करने में असमर्थ हो पर राष्ट्रीय संकट के समय यह हमारा नैतिक दायित्व है कि हम मरीजों को उचित लागत पर सर्वोत्तम उपचार दें। फिक्की तेजी से उभरती समस्या और बदलते परिदृश्य में इस मसले पर सरकार के साथ काम कर रहा है और संघ और राज्य स्वास्थ्य मंत्रालयों को इस लागत का प्रारूप प्रस्तुत किया गया है। फिक्की ने अप्रैल में पहली बार यह अनुमानित लागत दी थी जो परिकल्पना पर आधारित थी। यह संशोधित लागत प्रमुख निजी अस्पतालों में कोविड के 150 मामलों के इलाज के वास्तविक आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर पेश की गई है। फिक्की अन्य स्वास्थ्य सेवा संघों के साथ भी काम कर रहा है जिन्होंने कोविड के इलाज की लागत का प्रारूप विकसित किया है जो कि फिक्की की लागत के अनुरूप है। फिक्की के सदस्य अस्पतालों ने अनुशंसित लागत अपनाने और अस्पताल की वेबसाइट पर प्रकाशित करने की पारदर्शिता के संग कोविड-19 के खिलाफ जंग तेज करने की प्रतिबद्धता दिखाई है। फिक्की की यह भी अपील है कि सरकार इस अनुशंषा को महत्व दे और इलाज के वैज्ञानिकव्यावहारिक और सुचारु व्यवस्था अपनाएजो अस्पतालों के लिए के भी व्यवहार्य हो। फिक्की ने रीम्बर्समेंट की दरें तर्कसंगत हो इसके लिए वैज्ञानिक आधार पर लागत का स्वरूप अपनाने की बात कही है। फिक्की ने सरकार को साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए 2018 में इलाज में उपयोगी प्रक्रियाओं की लागतों के आकलन के लिए टाइम ड्रिवेन एक्टिविटी बेस्ड कॉस्टिंग को  आधार बनाया जो अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त बॉटम-अप कॉस्टिंग एप्रोच है।


 



 

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