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यूनाईटेड बु्रवरीज ‘किसान उन्नति’ के जरिये जौ के किसानों को सक्षम बना रहा है

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श्रीगंगानगर: यूनाईटेड बु्रवरीज़ लिमिटेड ने एक महत्वपूर्ण पड़ाव हासिल करते हुए राजस्थान के श्रीगंगानगर के आसपास इलाकों में कंपनी से जुड़े जौ के किसानों के लिए सहभागिता कार्यक्रम का आयोजन किया।  यूबीएल, उद्योग और पर्यावरण के बीच की कड़ी को अच्छी तरह पहचानती है क्योंकि हमारे उत्पादों का प्रमुख सामग्री फसल एवं पानी हैं। स्थायित्व के लिए प्रतिबद्धता हेतु हम सक्रियता के साथ अपने महत्वपूर्ण साझेदारों में से एक किसानों के साथ मिलकर काम करते हैं। अपने सहभागिता कार्यक्रम के अंतर्गत यूबीएल द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज मिल सकें और कंपनी के अनुभवी कर्मचारियों द्वारा उन्हें उचित कृषि परामर्श भी लगातार दिया जाता रहे। इसके साथ ही कंपनी, किसानों द्वारा उगाई जाने वाली जौ को खरीदते हुए यह भी सुनिश्चित करती है कि उन्हें बाज़ार से अधिक कीमत मिल सके। यूबीएल के नेतृत्व में भारत में 2 पंक्ति वाले जौ का खेती मॉडल संचालित किया जाता है, जो स्थानीय उत्पादकों से कच्चा माल खरीद कर उनकी मदद करता हैं।  किसानों के साथ वर्ष दर वर्ष मज़बूत होती साझेदारी की सफलता की खुशी में यूबीएल ने इस

देश के 21 कृषि पत्रकारों को मिलेगा सनराइज एग्रो जर्नलिज्म सम्मान

-जयपुर में आयोजित नेशनल फार्मर्स मीट में होंगे सम्मानित  -20 अगस्त होगा सम्मान समारोह  -डॉ. महेंद्र मधुप को मिलेगा लाइफटाइफ अचीवमेंट पुरस्कार  जयपुर। देश के 21 कृषि पत्रकारों का सनराइज एग्रो जर्नलिज्म सम्मान के लिए चयन किया गया है। इस सम्मान के लिए देशभर के 156 पत्रकारों के नामों पर विचार किया गया, जिनमें से पांच सदस्यीय सम्मान समारोह समिति ने 21 पत्रकारों नाम घोषित किए हैं। इनमें से वरिष्ठ कृषि पत्रकार डॉ. महेंद्र मधुप को पत्रकारिता में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इसके अलावा 20 अन्य कृषि पत्रकारों को सनराइज एग्रो जर्नलिज्म सम्मान से नवाजा जाएगा। सम्मानित होने वालों में उतरप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र सहित अनके राज्यों के पत्रकार हैं।  समिति की अध्यक्ष संगीता गौड़ ने बताया कि चयनित पत्रकारों को भारतीय जैविक किसान उत्पादक संघ व आईआईएएएसडी के संयुक्त तत्वावधान में 20 व 21 अगस्त को जयपुर की श्रीपिंजरापोल गोशाला परिसर के सुरभि सदन में हो रही नेशनल फार्मर्स मीट में सम्मानित किया जाएगा। इस मीट में कृषि एवं पशुपालन मंत्री, राजस्थान सरकार लालचंद कटारिया, नेशनल मेडिसनल

स्टार्ट-अप्स में निवेश के जरिए कृषि समृद्धि का संवर्धन

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मुंबई 14 अप्रैल ,  2022: जहाँ, पिछले दो वर्षों से कोविड जाहिर तौर पर हावी रहा है, लेकिन सरकार द्वारा जिन बड़े लक्ष्यों की रूपरेखा प्रस्तुत की गयी है उस ध्यान केंद्रित किये रखना महत्वपूर्ण है जैसे कि वित्त वर्ष 25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का प्रेरणादायक लक्ष्य। ग्रामीण भारत और विशेष रूप से कृषि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण वाहक होगा और दरअसल इस लक्ष्य से कहीं अधिक ही हासिल करने में सहायक होगा। सांख्यिकी मंत्रालय के अनुसार, सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान 2018 -19 के 17.6% से बढ़कर 2020 -21 में 20% से अधिक हो गया है। विज्ञान आधारित कृषि विज्ञान, मशीनीकरण और डिजिटलीकरण जैसी आधुनिक कृषि पद्धतियों को व्यापक रूप से अपनाने से इस क्षेत्र को मजबूती मिलेगी और यह अधिक लचीला बनेगा। वास्तव में, परिवर्तन की हवा बह रही है और 370 बिलियन डॉलर का यह क्षेत्र कई स्टार्ट - अप्स के उद्भव के साथ - साथ महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी और नियामक परिवर्तनों के दम पर अच्छी तरह से बदल सकता है। उच्च गति वाले इंटरनेट की उपलब्धता और परिपक्व होते डिजिटल कंटेंट के माध्यम से भारत के

सर छोटू राम की जयंती के उपलक्ष्य में 24 नवंबर को किसान-मजदूर संघर्ष दिवस मनाया जाएगा

26 नवंबर 2021 को भारत के लाखों किसानों के लगातार संघर्ष के 12 महीने पूरे होने पर देशभर में बड़े कार्यक्रमों की तैयारी जारी - 25 नवंबर को हैदराबाद में एक महाधरना होगा  ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, नीदरलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका में कई स्थानों पर भारतीय किसान आंदोलन के समर्थन में प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय किसान संगठनों द्वारा एकजुटता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे एनबीडीएसए ने एक राष्ट्रीय टीवी चैनल को किसानों को खालिस्तानी के रूप में चित्रित करने पर नसीहत दी और आदेश दिया कि ऐसे वीडियो वेबसाइटों और अन्य चैनलों से हटा दिए जाएं 26 नवंबर 2021 को भारत के लाखों किसानों के लगातार संघर्ष के 12 महीने पूरे होने के रूप में देशभर में बड़े कार्यक्रमो की जोरदार तैयारी चल रही है। उस दिन हजारों किसानों के दिल्ली के आसपास के मोर्चा स्थलों पर पहुंचने की संभावना है। दिल्ली से दूर राज्यों की राजधानियों में ट्रैक्टर रैलियों के अलावा अन्य विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया जाएगा। यह दिन आंदोलन की आंशिक जीत के रुप में मनाया जाएगा और शेष मांगों पर कार्यक्रमों में जोर दिया जाएगा। क